आज मैं और आप सभी सपरिवार कैंसर और डाइबटीज के रथ पर सवार होने को हैं और क्या पता हो भी चुके हों और कुत्ते वाली मौत की तरफ अग्रसर हो रहे हैं। मेरा निजी तौर पर मानना है कि किसान के संग मजदूर भी खेती में दिन रात एक होकर खटते हैं आज हालात काबू से बढ़ कर सर पर खड़े हैं।
देश मे बड़े बड़े तिलक त्रिपुंड धारी लाला जी जो अक्सर सनातन धर्म समितियों बड़े बड़े मंदिरों के चेयरमैन मिलते हैं और कभी भी 1लाख से कम डोनेशन नही देते | समाज मे इतनी क्लीन छवि रखते हैं और उनके नाम भी राम और कृष्ण से जुड़े होते हैं, वे लोग खाने पीने की चीजों में मिलावट से जुड़े मिलते हैं।
अब ईलाज क्या है जागरूक होना ईलाज नम्बर 1 है, खाने पीने के मामले में एक दम रिजिड हो जाओ किसी पर भरोसा मत करो। चाणक्य भी राजाओं के लिए कह कर गया है के माँ, बहन और पत्नी के द्वारा बनाया हुआ भोजन ही राजा को ग्रहण करना चाहिए। यह बात एक इशारा है के हमे अपने भोजन के प्रति जागरूक होना पड़ेगा। अमरीका बहुत जागरूक हो चुका है। जब से अमरीका में यह रिसर्च हुई है के गाय का घी जो नेचुरल तरीके से बना हो यूज करने से डायबिटीज हृदय रोग और कैंसर का रिस्क कई गुना कम हो जाता है तब से अमरीका में गाय के देसी घी का इम्पोर्ट कई गुना बढ़ गया है। किसान सीधे अमरीका घी भेज पा रहे हैं, पंचकूला में ग्वाला गद्दी के महंत श्री मोहन सिंह जी ने कल बताया के उनके पास 18000 लीटर देसी घी अमरीका में भेजने का आर्डर है और जो घी FDA वाले पहले 8 सप्ताह में अपप्रूव करते थे अब वो 48 घण्टे में पोर्ट से निकल रहा है जो कि बहुत बड़ी बात है।