ये ग़म क्या दिल की आदत है? नहीं तो
एक पुरानी कविता को कुछ अलग शब्दों में दर्शाने की छोटी सी एक कोशिश :- ये ग़म क्या दिल की आदत है? नहीं तोकिसी से कुछ शिकायत है? नहीं तो है वो इक ख़्वाब-ए-बे ताबीर तो इसकोभुला देने की नीयत है? नहीं तो किसी के बिन, किसी की याद के बिनजीने की हिम्मत है? नहीं […]
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