यहाँ हकीकत का तेज़ मांझा है तो….
ख्वाहिशों की उड़ान भरने वाली पतंग भी |
डोर जैसी है ये ज़िन्दगी…
तो खींचा-तानी तो चलती रहेगी |
ज़िन्दगी की कलम पर नहीं है अब ऐतबार मुझे – 2
क्योंकि मिटा चुकी है लिख-लिख कर ज़िन्दगी कई बार मुझे
मिटा चुकी है वो ज़िन्दगी की कलम कई बार मुझे |
गौर दीजियेगा…
डोर है ज़िन्दगी तो खींचा तानी तो चलती ही रहेगी |
(सोचियेगा जरुर इसके बारे में, क्योंकि ये ज़िन्दगी है तो ऐसे ही खींचा तानी तो चलती ही रहेगी )