Kalam

कलमकारी के नमूने

जीवन सूत्र: एक तजुर्बा, बनावटी रिश्तों से ज्यादा, अकेलापन ज्यादा सुकून देता है।

कुछ आप के लिए…

आप तसल्ली ना दो बस बैठे रहो मेरे पास, वक़्त ही तो है कट जायेगा साथ साथ।

कलमकारी के कुछ नमूने

  • हर बाप की एक ख्वाहिश होती है , कि बच्चे की कोई ख्वाहिश ना रह जाए।
  • इतनी मुश्किल भी नहीं जिन्दगी , जितना मुश्किल हमने इसको बना लिया।
  • कुछ रिश्तों से इंसान अच्छा लगता है, कुछ इंसानों से रिश्ता अच्छा लगता है , इसे ही कहते हैं राम कृपा।
  • जिनकी नज़रों में हम अच्छे नहीं , कुछ तो बुरे वो लोग भी होंगे।
  • जिनकी आप “कदर” नहीं करते हैं ना , यकीन मानिए लोग उन्हें दुआओं में मांग रहे होते हैं।
  • मांगने को तो बहुत कुछ मांग लूं तुमसे, क्या दोगे गर तुम्हीं को मांग लूं तुमसे।
  • उसने हमें नज़र अंदाज किया, हमने उसे नज़र आना छोड़ दिया।
  • मेरे दोस्त कहतें हैं और सुनाओ , जब सूना देती हूँ पता नहीं क्यूँ बुरा मान जातें हैं सारे।
  • इश्क तो बातों से ही होता है, चेहरे देखने के बाद तो अक्सर शादियाँ होती हैं जनाब।
  • बिना आवाज के रोना भी रोने से ज्यादा दर्द दे जाता है।
  • कुछ बातें, कुछ यादें , कुछ लोग और उनसे बने रिश्ते कभी भुलाए नहीं जा सकते हैं।
  • जोड़ों का दर्द क्या होता है यह सिर्फ जोड़े ही जानते हैं, कुंवारों को इसका एहसास तक नहीं है।
  • अगर पेड़ से ऑक्सीजन की जगह वाई फाई मिलता तो, हर इंसान एक पेड़ जरूर लगाता।
  • लहज़े को जरा देख “जवान” है कि नहीं , बालों की सफेदी को बुढापा नहीं कहते।
  • खूबियाँ इतनी तो नहीं कि हर किसी का दिल जीत सकें लेकिन कुछ पल ऐसे छोड़ जायेंगे कि भूलना भी आसान नहीं होगा।
  • अपने किरदार की हिफाजत जान से बढ़कर कीजिये, इसे जिन्दगी के बाद भी याद किया जाता है।
  • जब कभी भी आपको अपना घर छोटा लगने लगे, तो एक बार बैठ कर पौंछा लगा कर देखना महल लगने लगेगा महल।
  • इतनी जल्दी ना कर मनाने की, रूठ जाने पर भी हम तेरे ही हैं।
  • एक सच यह भी है कि नाराज इंसान को मनाया जा सकता है, लेकिन खामोश इंसान को नहीं।
  • अजनबी से दोस्त और फिर दोस्त से अजनबी बन्ने का सफ़र का नाम ही शायद ज़िन्दगी है।
  • बहुत सारे जरिये हैं कुछ कहने के, उनमें से एक ज़रिया है कुछ ना कहना।

अच्छा लगता है के तुम पढ़ते हो मुझे, लेकिन जाहिर नहीं होने देते ये अलग बात है।

लिख दिया है यूँ ही क्योंकि, जलने वाले शायद न ही ज़िन्दगी में हैं, न ही ऐसी कोई चाहत है और भगवान ऐसे लोगों से रूबरू न हो तो ही बेहतर है

हमसे जलने वालों तुमभी क्या खूब करते हो , महफ़िल तुम्हारी दोस्त तुम्हारे और बातें हमारी करते हो