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अब क्या करना…

कोई ग़ज़ल सुना कर क्या करना,

यूँ बात बढ़ा कर क्या करना |

चाहे अब कुछ हुआ भी हो, तो अब

दुनिया को बता कर क्या करना,

तुम साथ निभाओ चाहत से,

कोई रस्म निभा कर क्या करना |

तुम खफ़ा भी अच्छे लगते हो,

फिर तुमको मना कर क्या करना…

उलझन भरी इस ज़िन्दगी में…

एक सुलझा हुआ साथ तुम्हारा है…

फिर अब इस दुनिया में किसी और के साथ का क्या करना |