मैं ये नहीं कहती कि किसी से उलझना बुरी बात है और लड़ना भी बुरा नहीं है | हमें अन्याय और हो रहे अनुचित धक्के के ख़िलाफ़ जरूर लड़ना चाहिए।
लेकिन हमें एक बात का ध्यान अवश्य रखना चाहिए कि हमें कभी भी जीरो से नही लड़ना चाहिए क्योंकि जीरो से गुणा यानी उलझ कर व्यक्ति जीरो हो जाता है।
हमेशा लड़ना है तो अपने से ऊपर वालों और गुणी जनों से लड़ो तब तुम कुछ बदलाव कर पाओगे।
आज मुझे ये बात तब समझ आई जब मैंने बहुत करीब से एक परिस्थिति को देखा |
इतना तो तय है जिस प्रकार हम ज़ीरो से गुणा (Multiply) करने पर कुछ हासिल नहीं कर पाते बिल्कुल उसी प्रकार ज़ीरो सोच वाले व्यकित के साथ उलझने पर भी आपको परिणाम ज़ीरो ही मिलेगा और हो सकता है आप उनसे उलझ कर अपनी वैल्यू भी ज़ीरो ही कर लो |
इसी प्रकार, परमात्मा के बनाये हुए शरीर का मज़ाक कोई उड़ाए तो बिल्कुल भी चिंता न करें क्योंकि परमात्मा की छाती में टक्कर मारने का पैकेज जब मिलता है तो स्पेशल ही होता है।
जब सब कुछ समझ आया तो इस बात ने मेरे मन के त्रास को भी न्यूट्रल कर दिया।
उलझो तो गुणी जनों से अन्यथा रास्ता दे दो।
#जीवन सूत्र:
यदि सर्कल में ऐसे लोग नहीं हैं जिनसे प्रेरणा मिले तो वो सर्कल नहीं, पिंजरा है… भाई उसमें से जल्दी निकलो और आगे बढ़ो…
THANK YOU SO MUCH!!!
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