मुंबई के करोड़पति मुच्छड़ पान वाले की कहानी

मुच्छड़ के नाम से मशहूर पानवाला जिनका असली नाम जयशंकर तिवारी है। वह मूल रूप से इलाहाबाद के हांडिया जिले के तिवारीपुर नामक गांव के रहने वाले हैं। वह 1977 में मुंबई आए और तब से वह उस व्यवसाय को देख रहे हैं जिसे उनके पिता ने शुरू किया था |

परिवार के बारे में

Son and Brother

वे चार भाई हैं और ये सभी मिलकर पान की दुकान और कारोबार देखते हैं। जयशंकर तिवारी के तीन बेटे हैं। वे पारिवारिक एकता में बहुत दृढ़ विश्वास रखते हैं और चारों भाई अपने परिवार के साथ एक साथ रहते हैं और एक ही दुकान से अपनी आजीविका कमाते हैं। वे बहुत मजबूत पारिवारिक मूल्यों और प्यार और सद्भाव में विश्वास करते हैं और उनका कहना है कि यह उनके सफल व्यवसाय के लिए एक बहुत बड़ा कारक है।

दुकान के बारे में

The Shop

उनके पिता श्याम चरण तिवारी ने तीस साल पहले यह पान की दुकान की स्थापना की थी। दुकान का नाम मुच्छड़ इसलिए पड़ा क्योंकि उनके पिता श्याम चरण तिवारी की मूंछें इतनी बड़ी और लंबी थीं कि वह उनके कानों को छूती थीं। और अब यह एक पारिवारिक परंपरा बन गई है, चारों भाइयों की लंबी मूंछें हैं। अब यही दुकान चारों परिवारों की रोजी-रोटी है। वे अपने ग्राहकों को भगवान की तरह मानते हैं। वे अपने ग्राहकों के साथ व्यक्तिगत और पारिवारिक संबंध रखते हैं और उन्हें सबसे अच्छी सेवा देने में विश्वास करते हैं।

पान बनाने के लिए उनके द्वारा उपयोग की जाने वाली सभी सामग्री बिना किसी मिश्रण के बहुत ही शुद्ध और वास्तविक होती है। उनके यहाँ पान स्पेशल पार्टी और मैरिज के लिए ऑर्डर भी किये जाते हैं। वे या तो पार्टियों और शादियों के लिए स्टॉल लगाते हैं या फिर थोक में ऑर्डर लेकर डिलीवरी करते हैं। मुच्छड़ स्पेशल सुपारी का भी ऑर्डर लेते हैं।

मुच्छड़ पान वाला, इंटरनेट और paan.com का रहस्य

अब यह तो समझ आता है कि उनका पान इतना प्रसिद्ध था कि लोगों ने श्यामचरण तिवारी (मुच्छड़ पान दुकान का संस्थापक) को ही मुच्छड़ पान वाला पुकारना शुरू कर दिया और इस प्रकार मूछें उनका ब्रांड आइकॉन बन गयी | लेकिन इसमें रोचक बात यह है कि आज मुच्छड़ पान वाला और उनकी यह पान की दुकान के बारे में केवल भारत ही नहीं अमेरिका जैसे विकसित देशों में भी उनके पान कि चर्चा कैसे है | इसके पीछे का कारण जानने के लिए फिर मेरे अंदर के क्यूरोसिटी के कीड़ों ने एड़िया उठानी शुरू की और थोड़ा रिसर्च करने के बाद पता चला कि जब 1977 श्यामचरण तिवारी के जयशंकर तिवारी हांडिया जिले के तिवारीपुर नामक गांव से मुंबई आये और पिता की जगह जब उन्होंने इस पान की बाग़-डोर अपने हाथों में ली तब उस समय भारत में इंटरनेट इज़ाद हुआ ही था और कुछ बड़े बिज़नेसमैन ही अपने व्यवसाय की मार्केटिंग लिए वेबसाइट का सहारा लेते थे |

उनकी पान की दुकान के सामने दो बिल्डिंग थी एक टेक्सटाइल इंडस्ट्री थी जिसमें से रोज़ाना टेक्सटाइल के कच्चे माल की गाड़िया आती थी और तैयार माल की गाड़िया भर कर जाती थी | वहीं दूसरी बिल्डिंग में क्या काम होता है यह जयशंकर तिवारी के समझ से बाहर था क्योंकि वहां न तो कोई कच्चा माल आता था और न ही वहां कुछ सामान तैयार किया जाता था | लेकिन वह रोज़ यह जरुर देखते थे कि यहाँ इतने लोग काम के लिए आते हैं, जबकि यहाँ किसी भी प्रकार की कोई वस्तु खरीदी या बेची नहीं जाती | तो यह सब देख कर वे हैरान थे और यह जानना चाहते थे कि उस बिल्डिंग वाले दफ़्तर में क्या काम किया जाता है |

तब एक दिन वहां का एक कर्मचारी उनके पास पान खाने के लिए आया और उसका पान तैयार करते समय बातों ही बातों में जयशंकर जी ने उनसे पूछ ही लिया कि तुम्हारे दफ़्तर में क्या काम किया जाता है | तब उसने पान खाते हुए बताया कि हम वेबसाइट बनाते हैं जिससे लोगों को इंटरनेट की माध्यम से उनके व्यवसाय को बढ़ाने और अपने व्यवसाय को देश-दुनिया तक पहुँचाने में मदद मिलती है |

यह सब सुनकर जयशंकर तिवारी कुछ हैरान सा हो गया और इसी हैरानगी के साथ एक और सवाल दाग दिया कि “क्या तुम मेरी पान की दुकान भी इंटरनेट पर ला सकते हो ?” तब उस कर्मचारी ने कहा हाँ लेकिन वह हैरान हो गया कि यह पानवाला क्या वेबसाइट बनवायेगा जबकि उन्हें बड़े-बड़े बिज़नेसमैनको भी वेबसाइट बनवाने के लिए कितने पापड़ बेलने पड़ते हैं | वह यह सब सोच ही रहा था कि पान वाला जयशंकर तिवारी एक और सवाल कर बैठा कि “यह सब काम के कितने रूपये लगेंगे ?”

तब उस कर्मचारी को यह पक्का हो गया कि अब तो यह अपनी इस पान की दुकान के लिय वेबसाइट बनवाकर ही रहेगा | तब उसने कहा कि वह इस बारे में अपने बॉस से बात करके उसे बतायेगा | तब बॉस से जब उस कर्मचारी ने यह सब बताया कि एक पान वाला अपनी एक वेबसाइट बनवाना चाहता है तो वह बहुत हैरान भी हुए और बहुत खुश भी हुए और जयशंकर तिवारी को दफ़्तर में बुलाने के लिए कहा |

जयशंकर तिवारी को अपनी वेबसाइट बनवाने के लिए उनके साथ काफी दिन तक चाय पीनी पड़ी | तब जाकर एक paan.com क्रिएटिव वेबसाइट तैयार की गयी | paan.com सन् 1999 में तैयार की गयी थी और उस समय भी वेबसाइट के जरिये पान के ऑनलाइन आर्डर लिए जाते थे | यहाँ तक कि केवल भारत में ही नहीं उनके पास पान के लिए अमेरिका तक से आर्डर आते हैं और बड़े बड़े अदाकार, नेता और बिज़नेस मैन उनके पास पान खाने के लिए आते थे और आज भी आते हैं |

Homepage of paan.com

उन दिनों ऐसा पहली बार हुआ था कि एक पानवाले ने अपने व्यवसाय के लिए वेबसाइट तैयार करवाई हो | zomato – swiggy के कांसेप्ट जो अब इज़ाद हुए हैं वो 1999 से paan.com के ज़रिये वे कर रहे थे | उस समय लोग ई-मेल द्वारा अपना ऑर्डर करते थे।

बिज़नेस क्रिएटिविटी

अब अपने बिज़नेस के लिए वेबसाइट डिजाईन करवाना हालांकि कोई बड़ी बात नहीं है | लेकिन यह बात उस दौर की है जब भारत में इंटरनेट का आगमन ही हुआ था | आज भी कोई आम पान वाला अपनी पान की दुकान के लिए ऐसे इनिशिएटिव नहीं लेता |

तो जो जयशंकर तिवारी मुच्छड़ पान वाले ने किया उसमें एक अनोखी बिसिनेस क्रिएटिविटी की झलक दिखाई देती है क्योंकि यहाँ उन्होंने अपनी मूछों को ही ब्रांड आइकॉन बनाकर उसे बिज़नेस आइडेंटिटी के तौर पर पेश किया है | इंटरनेट के शुरुआती दौर में एक आम पान की दुकान वाले द्वारा ऐसा किया जाना वाकई काबिले तारीफ़ है | यही कारण है कि उनके पान आज पूरे भारत में ही नहीं विदेशों में भी पसंद किये जाते हैं |

यह पान का धंधा तीन पीढ़ियों से चल रहा है।

Muchhad Paanwala

आज मुच्छड़ पान दुकान पर 84 तरह के पान उपलब्ध हैं और उनके पास 5000 रुपये तक का पान भी मौजूद हैं | वे अपने ग्राहकों के लिए अनेकों फ्लेवर तैयार करते हैं जैसे चोकलेट, स्ट्रॉबेरी, पाइनएप्पल, गंगा जमुना आदि | इनका गंगा जमुना पान ग्राहकों का पसंदीदा पान है | इस पान के लिए बड़े-बड़े सेलेब्रिटी, राजनेता व अन्य लोग दूर-दूर से आते हैं |

सफलता की इतनी ऊँचाइयों पर पहुँचने के बाद भी वे अपनी दुकान सुबह ठीक 7 बजे खोल लेते हैं और देर रात 1:30 बजे तक उनकी पान की दुकान पान खाने वालों के लिए खुली रहती है | उनके पास मार्केटिंग की कोई डिग्री न होते हुए भी वे कभी बिज़नेस में क्रिएटिविटी लाने से पीछे नहीं हटे | जैसे कि उन्होंने सन् 1999 में ही अपनी वेबसाइट बनवा ली थी और भी समय समय पर अपने बिज़नेस के लिए अनोखे तरीके अपनाते रहते हैं |

उम्मीद है आपको मुच्छड़ पान वाला की यह छोटी और प्यारी सी कहानी पसंद आई होगी। बेझिझक अपनी राय कमेंट बॉक्स के जरिये शेयर करें और हमें अपने भी अनुभव बताएं। हम वादा करते हैं कि हम आपके लिए और भी ऐसी ही सच्ची और प्रेरणात्मक कहानियां लाते रहेंगे।

धन्यवाद !

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