आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में डिप्रेशन यानी अवसाद की समस्या बेहद आम बात है। कई बार डिप्रेशन हम पर कुछ इस तरह हावी हो जाता है कि मन में आत्महत्या तक के विचार घर कर जाते हैं। लेकिन अगर शुरुआत में ही डिप्रेशन के लक्षणों को पहचानकर आप इन्हें दूर करने का प्रयास करें तो बिना किसी डॉक्टरी उपचार के आप डिप्रेशन से छुटकारा पा सकते हैं।
आज हम आपको ऐसे 11 तरीके बता रहे हैं जिनकी मदद से आप डिप्रेशन यानि अवसाद की समस्या भविष्य में होने से बच सकते हैं | यदि हम डिप्रेशन जैसी बीमारी होने से पहले ही अपना बचाव कर लें तो यह ज्यादा बेहतर है |
तो आइये जानते हैं 11 बहुत काम के टिप्स :
1. बिना शर्त के रिश्ते (Unconditional Relations)
शर्तहीन रिश्ते वो रिश्ते होते हैं जिनमे कोई शर्त नहीं होती, जो जैसा है उसे वैसे ही स्वीकार कर लेते हैं| अपने जीवन में ऐसे रिश्ते बहुत जरुरी होते हैं | इनमे परिवार के सदस्य या दोस्त हो सकते हैं | ऐसे दोस्त जरुर होने चाहिए जिन पर हम आँख बंद करके विश्वास कर सकें | जिनके साथ हम अपनी हर अच्छी या बुरी बात बिना किसी झिझक के कर सकें| कोई भी नकारात्मक या गंभीर विचार मन में नहीं रखना चाहिए , क्योंकि यही विचार धीरे धीरे अवसाद में परिवर्तित हो जाते हैं | अगर हमारे पास ऐसा कोई है जिसके साथ हम बिना किसी डर के बात कर सकते हैं तो ऐसे रिश्ते होने से तनाव और अवसाद होने की संभावना कम हो जाती है|
2. भावनात्मक अभिव्यक्ति (Emotional Expression)
अपनी भावनाओं को व्यक्त करने की सहजता जिसमे जितनी ज्यादा होती है उसमे तनाव या डिप्रेशन होने की संभावना उतनी ही कम होती है | मन में जो आता है उसे कह देना चाहिए, किसी बात को मन में रखना अच्छी बात नहीं है | आप जिसके साथ भी सहज हैं उसे दिल की भावना व्यक्त कर देनी चाहिए| लेकिन यदि आपके पास ऐसा कोई नहीं है जिसके साथ आप हर बात साझा नहीं कर सकते हो तो अपनी भावनाओं को लिख कर व्यक्त कर सकते हो| अपनी भावनाओं को व्यक्त करो चाहे जैसे मर्जी करो| आप रो कर, चिल्ला कर, गाली देकर अपनी भावना को व्यक्त कर सकते हो| लेकिन किसी भी तरह के तनाव या घुटन को मन में नहीं रखना चाहिए क्योंकि यही घुटन बाद में डिप्रेशन का रूप ले लेती है| ऐसा करने से आपका मन हल्का रहेगा और आप अवसाद से दूर रहेंगे|
3. दूसरों का प्रभाव (Influence of others)
आज के दौर में हम कोई भी काम करने से पहले ये सोचते हैं की लोग क्या कहेंगे | यह विचार हमारी जीवन जीने की सहजता को ख़त्म कर देता है| समाज का इतना दबाव जरुरी है की हम कोई गलत काम न करें, लेकिन इतना दबाव भी नहीं होना चाहिए कि हम अपना जीवन भी सहजता से न जी सकें | अपना जीवन अपने विवेक से जीने की कोशिश करें | लेकिन कुछ भी करने से पहले ये मत सोचिये की समाज क्या कहेगा या रिश्तेदार क्या कहेंगे| दूसरों की राय को इतना महत्त्व मत दीजिये वो आपके जीवन जीने की स्वतंत्रता को ही प्रभावित करने लगे |
4. नकारात्मकता (Negativity)
हमारे आसपास अच्छे और बुरे दोनों तरह के लोग और वस्तुएं होती हैं | अब हमे चुनाव करना है की हमें क्या चाहिए | यही बात ख़बरों और फैक्ट्स पर भी लागू होती है | कुछ नकारात्मक किस्म के लोग होते हैं जो अच्छी से अच्छी बात में कुछ न कुछ नकारात्मक ढूढ़ लेते हैं, और कुछ लोग ऐसे होते हैं जो बुरी स्थिति में सकारात्मक चीजें देखते हैं | ऐसे ही हमारे आसपास अच्छी व बुरी दोनों तरह की ख़बरें होती हैं | इसलिए ये हमें तय करना है की हम किन लोगों के साथ रहते हैं या कैसी ख़बरें सुनते हैं| ऐसी स्थिति में हमे नकारात्मक लोगों से दुरी बना लेनी चाहिए |
5. प्रतिस्पर्धा (Competition)
आज के समय में हर क्षेत्र में कम्पटीशन( प्रतिस्पर्धा) बढ़ रही है | कम्पटीशन की बहुत से अच्छे पहलु हैं | इससे व्यक्ति सजग रहता है और गुणवत्ता बढ़ जाती है | लेकिन जैसे जैसे कम्पटीशन बढ़ता है उसके नुक्सान होने लगते हैं और यह अनावश्यक प्रतिस्पर्धा का रूप ले लेता है | कम्पटीशन इतना भी नहीं होना चाहिए की उसके नियम भंग हो जाएँ | हमे हर स्थिति में अनावश्यक कम्पटीशन से बचना चाहिए |
6. हर बार जीतने की जिद्द (Stubbornness to win every time)
जीवन में हर बार सफलता की चाह मत रखिये | क्योंकि यह संभव नहीं है की हम जीवन के हर पहलु में सफल हों | इसलिए अगर कभी किसी क्षेत्र में असफल भी हो जाएँ तो घबराना नहीं चाहिए |
7. ज्यादा उम्मीद न रखें (Don’t expect)
जीवन में उम्मीद रखना जरुरी है | लेकिन खुद से और दूसरों से बहुत ज्यादा उम्मीद रखना ठीक रखना नही ठीक नहीं है | सभी को अपने हिसाब से चलाने की चाहत न रखें| इसकी बजाये दूसरों से उम्मीद न रखें और उनकी प्रशंसा करें | इससे लोगों को आपकी संगत अच्छी लगेगी| अगर हम हर समय दूसरों को अपने हिसाब से चलाने की कोशिश करेंगे और उनमे कमी निकालेंगे तो वो हमसे मिलना पसंद नहीं करेंगे |
खुद से भी इतनी ज्यादा उम्मीद नहीं रखनी चाहिए की पूरी न होने के बाद जीवन जीना मुश्किल हो जाये | इसलिए खुद की योग्यता और उम्मीद में संतुलन बना कर रखना चाहिए ताकि सफलता न मिलने पर भी अवसाद जैसी स्थिति उत्पन्न न हो |
8. भावनात्मक निर्भरता (Emotional dependence)
हर व्यक्ति भावनात्मक रूप से किसी न किसी के उपर निर्भर होता है, और यह जरुरी है क्योंकि इसके बिना जीवन नीरस है | जब हम किसी बात से परेशान होते हैं तो हमारे पास कोई होना चाहिए जिसे हम अपनी समस्या बता सकें और उसका समाधान कर सकें | अकेला व्यक्ति ऐसी स्थिति में तनावग्रस्त हो जाता है | हम अपने परिवार या दोस्तों पर भावनात्मक रूप से निर्भर हो सकते हैं |
लेकिन कई बार ऐसी स्थिति आ जाती है जब हम किसी एक व्यक्ति पर निर्भर हो जाते हैं , यह निर्भरता खतरनाक होती है जिसके दूरस्थ परिणाम ठीक नहीं होते| जब हम किसी एक व्यक्ति पर निर्भर हो जाते हैं और जब कभी उसी व्यक्ति से टकराव हो जाता है किसी कारणवश अलग हो जाते हैं तब व्यक्ति अकेला रह जाता है | ऐसी स्थिति में तनाव और अवसाद जैसी स्थिति पैदा हो जाती है |
9. शारीरिक गतिविधी (Physical activity)
जो व्यक्ति शारीरिक गतिविधी करता है उसमे डिप्रेशन होने की संभावना कम होती है | शारीरिक गतिविशी या प्रैक्टिस करने से हमारे शारीर में कुछ अच्छे हॉर्मोन रिलीज़ होते हैं जो हमारे मूड को अच्छा रखते हैं और हमे खुश रखते हैं | इसमें दौड़, डांस, जिम आदि शामिल है | मनोवैज्ञानिको के अनुसार जो व्यक्ति नियमित रूप से व्यायाम करता है उसमे अवसाद की संभावना न के बराबर होती है |
10.सेवाभाव (Do something for others)
दूसरों के लिए कुछ करने से हमारे शरीर में वो हार्मोन्स रिलीज़ होते हैं जिनका सम्बन्ध प्यार की दुनिया से है | जब हम निस्वार्थ भाव से दूसरों के लिए कुछ करते हैं तो उनमे जो धन्यवाद का भाव आता है उससे हमारे हार्मोन्स पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है | हमारे आसपास जो भी गरीब या जरुरतमंद व्यक्ति है उसकी थोड़ी सी मदद करने से हमारे अंदर बहुत उपयोगी हार्मोन स्त्रावित होता है जो मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है | जब हम बिना किसी स्वार्थ के किसी इंसान या पशु की मदद करते हैं तो हमारा हार्मोनल संतुलन बेहतर होता जिससे जीवन में ख़ुशी आती है और तनाव और अवसाद जैसी स्थिति से हम दूर हो जाते हैं|
मनोरंजन (Entertainment)
जीवन में ऐसी कार्य जरुर करते रहना चाहिए जिनमे हमारी रुची है | ये कोई खेल हो सकता है या कोई शौक हो सकता है | जो कुछ भी करना आपको अच्छा लगता है उसे मन से करना चाहिए| ऐसा करने से हमारा मन हल्का हो जाता है और तनाव दूर हो जाता है और हम स्वस्थ महसूस करते हैं | हर रोज कुछ न कुछ मनोरंजक करना चाहिए |