तुम क्या मिटाना चाहते हो ?

तुम क्या मिटाना चाहते हो ?

एक सवाल है तुम लोगो से

ये बताओ तुम क्या मिटाना चाहते हो?

हर खिलते हुए फूल को यूँ मसल देना ठीक है क्या?

किसी के बेटे किसी के भाई को छीन लेना ठीक है क्या?

क्यों किसी के सपनों को यूँ दफनाना चाहते हो?

ये तो बताओ आखिर तुम क्या मिटाना चाहते हो?

दिल में इतनी नफ़रत कहाँ तक ठीक है?

कहाँ तक ठीक है ये बदले की भावना ?

किसी का घर उजाड़कर तुम क्या बसाना चाहते हो?

एक बात बताओ तुम क्या मिटाना चाहते हो?

क्या बदले की भावना एक पिता के दर्द से बड़ी हो गई थी?

या बड़ी हो गई थी नाम की चाहत एक माँ के आंसुओ से?

एक मजबूत नींव की दिवार को तुम क्यों हिलाना चाहते हो?

ये तो बताओ आखिर तुम क्या मिटाना चाहते हो?

वो एक था अब हजार होंगे कतार में

अब देख लेना शक्ति उस हस्ती के प्यार में

एक सिध्दु को ख़त्म करके तुम क्या जताना चाहते हो?

अरे ये तो बताओ आखिर तुम क्या मिटाना चाहते हो?

एक सवाल है तुम लोगो से

ये बताओ तुम क्या मिटाना चाहते हो?

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