Observation

सोनाली बेंद्रे को कैंसर हो गया है !!!

आप क्या समझते हैं के सोनाली बेंद्रे का लाइफ स्टाइल खाना पीना कैसा होगा, आप और मैं कल्पना भी नही कर सकते। फिर भी कैंसर कैसे हो गया ? कारण एक ही है जिसपर आज देश मे कोई बात नही करना चाह रहा वो है खाने पीने की वस्तुओं में मिलावट। आज देश की सबसे […]

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“नफ़रत करना” हमारे देशवसियों का सबसे प्रिय शग़ल है, शौक़ है, प्रियतम वस्तु है, जो हर चीज से प्यारी है और हर चीज पर भारी है।

True Story : मैं अक्सर अपने काम धाम के सिलसिले में देश समाज मे घूमता रहता हूँ, मैं यह देखता हूँ के अहीर, जाट, गुज्जर, पंजाबी, ब्राह्मण, नाई, मोची, खाती, तेली मतलब ABC से XYZ तक सब आपस मे एक दूसरे से नफ़रत करने में असीम सुख की अनुभूति प्राप्त करते हैं। हालांकि सब आपस

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मेरी समझ मे बेहतर जीवन की रेसिपी आ ही गयी

बहुत वर्षों पहले प्रोफेसर Anil Gupta जी ने एक बात कही थी के यदि आप financial capital कमाना चाहते हैं तो आपको पहले social capital कमानी चाहिये। आज एक ऐसे ही एंटरप्राइज से वास्ता पड़ा जिसके आगे तो दुकान है लेकिन पीछे से पियाऊ है। एक छोटी गुड़िया कोई 10 या 12 साल की इस

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समझ समझ कर समझ को समझों यही समझना भी एक समझ है, जो इस समझ को ना समझे मेरी समझ में वो नासमझ है।

वर्ण व्यवस्था छुआछूत और सनातन संस्कृति   साथियों अक्सर हम सभी माइक्रो क्लाइमेटस में जीते हैं जहां प्रीलोडेड और कुक्ड इन्फॉर्मेशन का काफी बड़ा फ्री डेटाबेस उपलब्ध रहता है। हम आसानी से उप्लब्ध इस डेटाबेस के सहारे अपने ओपिनियन और विचारधारा का निर्माण कर लेते हैं। सोशल मीडिया ने आपके – हमारे डेटाबेस में एक

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मन को आजादी चाहिए और आंखों को नींद !

व्यक्तिगत जीवन में मन की आजादी का दिन सबको चाहिए, लेकिन मिलता कहा है। जीवन क्षण-क्षण कई रंग ओढ़ता-बिछाता है। अप्रिय होता है तो मन घिन से भर जाता है, आंखें आंसुओं से। कभी-कभी। किसी-किसी समय में अक्सर। गुस्से बगूलों में छा लेते हैं। हंसी ठूंठ हो जाती है। अंदर कुछ तेजी से टूटता है।

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मृत्यु से पहले क्या सोचता है इंसान?

ऑस्ट्रेलिया की एक नर्स की किताब , ‘द टॉप फाइव रेग्रेट्स ओफ़ द डाइंग ‘ के अनुसार इन्सान को मृत्यु से पहले सबसे बाड़ा यह खेद होता है कि उसने वह सब चीजें क्यों नहीं की जिसके लिए वह इस दुनिया में आया था | विशेषज्ञों की मानें तो स्वर्गवासी होने से पहले व्यक्ति जीवन

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स्ट्रेस को दें मात

ज़िंदगी जितनी आसान होती जा रही है, उतनी स्ट्रेसफुल भी। स्ट्रेस अच्छा है यदि सितार के तारों से निकले, लेकिन यदि स्ट्रेस शरीर के तारों को परेशान करने लगे तो जीवन पीछे छूटने लगता है। आजकल के लाईफस्टाइल में स्ट्रेस किस हद तक इंसान पर हावि होता जा रहा है, उसे जानने के लिए तीन

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हम कैसे जान सकते हैं कि हम किस प्रकार दूसरों को नियंत्रित कर रहे हैं ?

हमें जांचने के लिए केवल अपने आपको चेक करने की जरूरत है जब लोग हमारे अनुसार व्यवहार करते हैं उस समय हम अपने आपको मानसिक और शारीरिक रूप से बहुत कंफर्टेबल यानी आरामदायक महसूस करते हैं लेकिन अगर ऐसा नहीं होता यानी जब लोग हमारे अनुसार व्यवहार नहीं करते तब हम अपने आपको कंफर्टेबल महसूस

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